कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 51 1 Oct 2020 आखिर कब तक जलाकर मोमबत्ती और लिख कर पोस्ट लच्छेदारचले जाएंगे वो महलों में करने मौज गद्दों परबची रह जाएगी एक आह मरकर भी कहीं उसकीपुनः घूमेंगे नर के वेश…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 39 16 Nov 201916 Nov 2019 नेताजी सरकार चलाएंगे कल तक वो छूटभाई थे, रिजॉर्ट में छिपाए जाएंगेबिक न जाए घोड़ा कहीं, घर में घुडसाल बनाएंगेनोटों के बदले वोट से आगे, वो सरकार बनाएंगेकल के नेताजी…
शायरी शायरी – 37 7 Oct 20197 Oct 2019 एक यही अदा तो सीखा है नदी के बहाव सेअपनी रौ में बहना और किनारों की परवाह न करना © अरुण अर्पण Image credit - Google images
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 37 4 Oct 20194 Oct 2019 बस जी ही तो रहे हैं लाखों उदास चेहरे, चुपचाप ताकते हैं हैं भीड़ में अकेले, हमराह चाहते हैं नहीं याद मुस्कुराना, कब खुल के खुद हंसे थे जीनी थी…
शायरी शायरी – 36 26 Sep 201926 Sep 2019 नहीं याद दिलाना पड़ता कि, मैं वही पुराना साथी हूंबस आहट और आवाज इन्हें, बरबस करीब ले आती हैहै चंद पलों का साथ, पुनः एक दूरी खड़ी महीनों कीजब भी…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 36 25 Sep 201925 Sep 2019 बेटियां मां - बाप की हैं जान और सम्मान बेटियां छूती हैं आसमान, हैं पहचान बेटियां बेटों की चाह मौत के उस पार है खड़ी जीते हुए जो तार दे,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 35 14 Sep 201915 Sep 2019 मुगालता - ए - दारू बात पते की कहती दारू, पीते इसको जो घरबारू सेहत बचे ना तन पर गारू, घर बिकता छूटे मेहरारू सुबह सुबह सर भार लगे है,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 30 3 Jul 2019 ऐ जिंदगी तू ही बता कल राह चलते मिल गए, गुजरे जमाने के दो पल बढ़ती उमर के दौर में, ठंडे सुकून के प्रतीक पल बोले कि तू दिखता नहीं,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 22 24 Feb 2019 खुशी की पता - बताओ जरा समझ न सका तेरे दस्तूर को "अरुण" समझ न सका कि तेरी चाहत क्या है गर हंसता हूं तो चुभता हूं, रोने की फितरत…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 20 16 Feb 2019 एहसासों का "आलिंगन" दुनिया का सब सुख फीका है, सब कुछ होता लघुप्राय जहां जो जननी का ही आंचल है, पाया सबने था प्राण जहां ढोती नौ मास, सहे हर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 19 12 Feb 2019 यह कैसी भक्ति एक रोज मिला कोई मुझको मेरे गांव के बाहर सड़कों पर अरदास मिली कि मदद कर दो मां पूजन के पंडालों पर एक भव्य आयोजन करने की…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 18 8 Feb 201911 Feb 2019 प्रोपोज डे और कल्लू का दर्द चहुं ओर लालिमा सूरज की, भई भोर और मैं हुआ विभोर होके निवृत्त नित कामों से, मैं निकल पड़ा ऑफिस की ओर कुछ दूर…