कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 18 8 Feb 201911 Feb 2019 प्रोपोज डे और कल्लू का दर्द चहुं ओर लालिमा सूरज की, भई भोर और मैं हुआ विभोर होके निवृत्त नित कामों से, मैं निकल पड़ा ऑफिस की ओर कुछ दूर…
विचार श्रृंखला विचार श्रृंखला – 16 2 Feb 201911 Feb 2019 कहीं एक पंक्ति पढ़ा था, "कल रात जिंदगी से मुलाकात हो गई।" पंक्ति क्या, एक पूरी कविता ही थी जिसकी अंतिम पंक्ति है, "मैं जिंदगी हूँ पगले, तुझे जीना सिखा…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 14 26 Jan 201930 Mar 2019 गणतंत्र दिवस और मेरा देश जब नींद खुली अल सुबह आज, तब देखा एक नया प्रभात सारे चेहरे खुशहाल दिखे, तब सोच में पड़ गया क्या है आज लड़ते, भिड़ते,…
शायरी शायरी – 12 23 Jan 20198 Apr 2019 इतना भी न डर दुनिया से, ऐ नादानकि तेरा हम साया भी पराया लगने लगे