बातें - मेरी और आपकी बातें – मेरी और आपकी – 1 23 Jun 201923 Jun 2019 शुभप्रभात मित्रों बहुत दिनों से मैं सोच रहा था कि अपने ब्लॉग पर एक सेक्शन ऐसा भी होना चाहिए जहां मैं और आप ज्ञान और साहित्य के अलावा भी एक…
शायरी शायरी – 27 26 Apr 2019 जीवन में कई बार ऐसे पल आते हैं जब कोई अपना भरोसे का आदमी ही सबसे नाजुक पलों में धोखा दे जाता है। उस वक्त अपना धैर्य और बुरे समय…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 27 25 Apr 2019 चले जब छोड़ तेरा घर बहुत बेचैन था उस दिन, था छोड़ा जब तेरा वो दर हुआ महसूस तब उस दिन, वो दुनिया थी न मेरा घर मिली कीमत जो…
कविता/poetry… काव्य श्रृंखला – 26 13 Apr 201913 Apr 2019 राम और आधुनिक भारत हे राम! न आना कलयुग में, यह त्रेता युग का दौर नहीं तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, यहां मर्यादा का ठौर नहीं रिश्ते नाते, साम्राज्य देश के…
शायरी शायरी – 25 3 Apr 20192 Apr 2019 वक़्त की चाल को रोकने की कोशिश न कर ये वो दरिया है जिसका कोई समंदर नहीं वक्त के घोड़े पर सवार हो जीत ले सारा जहां पीछा न कर,…
विचार श्रृंखला… विचार श्रृंखला – 22 8 Mar 20198 Mar 2019 महिला दिवस : कितना सार्थक आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है। सामान्य अर्थ में यह दिन महिलाओं को समाज में समानता, इज्जत और सशक्तिकरण प्रदान करने के प्रतीक के रूप में…
शायरी शायरी – 22 25 Feb 201925 Feb 2019 फना करके निग़ाहों को, चिरागों को करे रोशन जला करके खुदी का घर, सजाए गैर का गुलशन जमाने में वफ़ा की ये, अदा, जाने कहां की है कहें अपना, दिखें…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 22 24 Feb 2019 खुशी की पता - बताओ जरा समझ न सका तेरे दस्तूर को "अरुण" समझ न सका कि तेरी चाहत क्या है गर हंसता हूं तो चुभता हूं, रोने की फितरत…
विचार श्रृंखला विचार श्रृंखला – 21 22 Feb 201922 Feb 2019 सड़क सुरक्षा - जिम्मेदार कौन सच कहूं तो आज समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या लिखूं और किस मुद्दे पर लिखूं। ऐसा नहीं है कि मेरे पास लिखने…
शायरी शायरी – 21 21 Feb 2019 जीवन भर परिवार और समाज की उम्मीदों को उठाने वाले लोग जब चौथेपन की तरफ बढ़ते हैं तो अक्सर ही उन्हें रेगिस्तान के सूखे पेड़ की तरह उनके हाल पर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 21 20 Feb 2019 घर खो गया है जीवन की आपाधापी में, ख्वाहिश के तंग गलीचों में, सब कुछ पाने के सपनों में, ईमान कहीं सो गया है सच ही कहते हैं दुनिया वाले,…
विचार श्रृंखला विचार श्रृंखला – 20 18 Feb 2019 शिक्षा और ग्रामीण भारत – भाग एक आज सुबह आठ बजे जब मैं अपने खेतों की तरफ जा रहा था तो रास्ते में एक तिराहे पर मुझे कल्लू (कल्लू तो आपको याद ही…
शायरी शायरी – 20 17 Feb 2019 हर पल बदलती दुनिया में हो रहे नित नए अनुभवों और मजबूरी की मुस्कान के पीछे दर्द की उपस्थिति। आखिर कौन सी दुनिया में जी रहे हैं हम सब? पेश…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 20 16 Feb 2019 एहसासों का "आलिंगन" दुनिया का सब सुख फीका है, सब कुछ होता लघुप्राय जहां जो जननी का ही आंचल है, पाया सबने था प्राण जहां ढोती नौ मास, सहे हर…
विचार श्रृंखला विचार श्रृंखला – 19 14 Feb 2019 ये कैसा वेलेंटाइन आज सुबह से ही हर जगह वेलेंटाइन डे की धूम मची हुई है। शादीशुदा लोग खुलेआम वेलेंटाइन मना रहे हैं तो कुछ अन्य छुप कर या ऑनलाइन…
शायरी शायरी – 19 13 Feb 201913 Feb 2019 दुनिया में लगातार पनप रहे अविश्वास और अनवरत जारी विश्वासघात के दौरे नजर पेश हैं चंद पंक्तियां :- खुले ज़ख्मों को मरहम की, नजर देते नहीं हैं अब रगड़ते हैं…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 19 12 Feb 2019 यह कैसी भक्ति एक रोज मिला कोई मुझको मेरे गांव के बाहर सड़कों पर अरदास मिली कि मदद कर दो मां पूजन के पंडालों पर एक भव्य आयोजन करने की…
Photography Photography Series – 18 11 Feb 201911 Feb 2019 Life : 🐦 Birds or boat ⛵ प्रयागराज में अपने कुंभ भ्रमण के दौरान त्रिवेणी संगम के पावन तट पर दर्शनीय यह दृश्य कहीं न कहीं जीवन की एक सच्चाई…
Celebrations Happy Vasant Panchmi वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं 10 Feb 201910 Feb 2019 Vasant Panchmi has a very special place in my life. We celebrate it as a day devoted to Goddess Saraswati, Goddess of all types of arts, literature, music, knowledge, intellectuality…
विचार श्रृंखला विचार श्रृंखला – 18 10 Feb 201911 Feb 2019 ये कैसा प्रेम आज मैं एक ऐसे विषय के साथ उपस्थित हुआ हूं जो आप सबने अपने जीवन में कहीं न कहीं महसूस जरूर किया होगा। आजकल प्रेमिजनों के प्रेम…
शायरी शायरी – 18 9 Feb 201911 Feb 2019 भाई, कल तो कल्लू की प्रेम लीला का जनाजा निकल गया था (पढ़ें काव्य श्रृंखला - 18) लेकिन उसके भतीजे लंपट की अलग ही चिंता है। आज हर जगह चॉकलेट…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 18 8 Feb 201911 Feb 2019 प्रोपोज डे और कल्लू का दर्द चहुं ओर लालिमा सूरज की, भई भोर और मैं हुआ विभोर होके निवृत्त नित कामों से, मैं निकल पड़ा ऑफिस की ओर कुछ दूर…