कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 43 5 May 20205 May 2020 दारू की बोतल और lockdown लाखों में बिक रही है आज दारू की बोतलऔर लोग कहते हैं कि देश यह गरीब हैचिथड़े लपेट कर भी वो खड़ा है ठेके परऔर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 35 14 Sep 201915 Sep 2019 मुगालता - ए - दारू बात पते की कहती दारू, पीते इसको जो घरबारू सेहत बचे ना तन पर गारू, घर बिकता छूटे मेहरारू सुबह सुबह सर भार लगे है,…