कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 47 25 Jul 2020 बुरा भी मानता हूं क्या तुम अक्सर पूछते हो मैं बुरा भी मानता हूं क्यासदा निश्छल सा दिखता हूं कि लड़ना जानता हूं क्यामैं दुनिया की नजर से खुद की…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 35 14 Sep 201915 Sep 2019 मुगालता - ए - दारू बात पते की कहती दारू, पीते इसको जो घरबारू सेहत बचे ना तन पर गारू, घर बिकता छूटे मेहरारू सुबह सुबह सर भार लगे है,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 25 2 Apr 2019 मोबाइल और हमारा जीवन मैं और मेरा मोबाइल, अक्सर ये बातें करते हैं कि तुम ना होते तो कैसा होता मैं बदन हूं, तुम हो छाया, तू न हो तो…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 20 16 Feb 2019 एहसासों का "आलिंगन" दुनिया का सब सुख फीका है, सब कुछ होता लघुप्राय जहां जो जननी का ही आंचल है, पाया सबने था प्राण जहां ढोती नौ मास, सहे हर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 19 12 Feb 2019 यह कैसी भक्ति एक रोज मिला कोई मुझको मेरे गांव के बाहर सड़कों पर अरदास मिली कि मदद कर दो मां पूजन के पंडालों पर एक भव्य आयोजन करने की…
शायरी शायरी – 18 9 Feb 201911 Feb 2019 भाई, कल तो कल्लू की प्रेम लीला का जनाजा निकल गया था (पढ़ें काव्य श्रृंखला - 18) लेकिन उसके भतीजे लंपट की अलग ही चिंता है। आज हर जगह चॉकलेट…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 18 8 Feb 201911 Feb 2019 प्रोपोज डे और कल्लू का दर्द चहुं ओर लालिमा सूरज की, भई भोर और मैं हुआ विभोर होके निवृत्त नित कामों से, मैं निकल पड़ा ऑफिस की ओर कुछ दूर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 17 4 Feb 201911 Feb 2019 शहादत के बाद देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर की शहादत न केवल देश और समाज की क्षति है बल्कि वो एक ऐसे परिवार की भी…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 16 1 Feb 201911 Feb 2019 वफा की एक अदा अनेकों बार हमारे जीवन में ऐसे मौके आते हैं जब हम किसी व्यक्ति को दिल से चाहते या इज्जत करते हैं लेकिन उस व्यक्ति को हमारी…
शायरी शायरी – 14 27 Jan 201930 Mar 2019 हमराह मिला न सफ़र में कोई ना जाने क्या रुसवाई है कल देखोगे मेरे संग काफिला भले आज बहुत तन्हाई है
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 14 26 Jan 201930 Mar 2019 गणतंत्र दिवस और मेरा देश जब नींद खुली अल सुबह आज, तब देखा एक नया प्रभात सारे चेहरे खुशहाल दिखे, तब सोच में पड़ गया क्या है आज लड़ते, भिड़ते,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 10 21 Jan 20198 Apr 2019 पुरुष : संवेदना बनाम अवधारणा बातें सिमट रही हैं, रिश्ते सिमट रहे हैं बातें विकास की हैं, पर दिल सिमट रहे हैं भाई न भाई का है, ना है कोई…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 9 20 Jan 201920 Jan 2019 अंतहीन सफ़र स्पर्श धरा का किया था जब प्रारम्भ हुई जीवन धारा एक सफ़र ही था वो अंतहीन नहीं अता पता मंजिल का पता कभी दौड़े, कभी दौड़ाए गए जाना…