कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 52 3 Nov 2020 आज का इंसान जरा कुछ देर रुककर सोचिए फिर दीजिए जवाबवो दौर अब बाकी कहां जब मुंह पर बात होती थीखुदी की बात पर मुंह मोड़ जाते दिन में चौदह…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 46 28 Jun 2020 ग्रहण लग जाता है जब तात हों साथ सबल सुत हैंहरि धाम लगे वो कुटी जर्जरबिन जान सदा विचरे बिन तातअब काटन को दौड़ाए महल सम्मुख न दिखे अश्रु की…
शायरी शायरी – 45 13 Jun 2020 अरमान बुझी स्याही जब कागज पर उड़ेल दी जाती हैदिल के तूफान को जब शब्दों की पतवार मिल जाती हैदुनिया के आडंबर को जब कलम आईना दिखाती हैशब्दों की डोर…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 45 4 Jun 20204 Jun 2020 क्या हुआ अगर चले थे ढूंढने इंसानियत गुमनाम राहों मेंदिशाएं स्याह, काले मन, बड़ी संगीन दुनिया थीभले मानुष दिखे अब रेड डाटा बुक के पन्नों परसड़ी बुद्धि, भ्रमित जनता, बड़ी…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 39 16 Nov 201916 Nov 2019 नेताजी सरकार चलाएंगे कल तक वो छूटभाई थे, रिजॉर्ट में छिपाए जाएंगेबिक न जाए घोड़ा कहीं, घर में घुडसाल बनाएंगेनोटों के बदले वोट से आगे, वो सरकार बनाएंगेकल के नेताजी…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 36 25 Sep 201925 Sep 2019 बेटियां मां - बाप की हैं जान और सम्मान बेटियां छूती हैं आसमान, हैं पहचान बेटियां बेटों की चाह मौत के उस पार है खड़ी जीते हुए जो तार दे,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 35 14 Sep 201915 Sep 2019 मुगालता - ए - दारू बात पते की कहती दारू, पीते इसको जो घरबारू सेहत बचे ना तन पर गारू, घर बिकता छूटे मेहरारू सुबह सुबह सर भार लगे है,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 30 3 Jul 2019 ऐ जिंदगी तू ही बता कल राह चलते मिल गए, गुजरे जमाने के दो पल बढ़ती उमर के दौर में, ठंडे सुकून के प्रतीक पल बोले कि तू दिखता नहीं,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 25 2 Apr 2019 मोबाइल और हमारा जीवन मैं और मेरा मोबाइल, अक्सर ये बातें करते हैं कि तुम ना होते तो कैसा होता मैं बदन हूं, तुम हो छाया, तू न हो तो…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 24 18 Mar 2019 लोकतंत्र का महापर्व - चलो वोट करें सुनो सुनो मैं कहता हूं एक बात पते की बहुत बड़ी जाम निज़ाम सभी बदले हैं रंग लो आई चुनावी घड़ी सुनिए गुनिए…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 23 10 Mar 201910 Mar 2019 पब जी : गेम या नई बीमारी एक रोज खुली जब नींद मेरी, तो पता चला वो जाता है रहता वो मेरे पास यहीं, बस दिल से दिल का नाता…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 21 20 Feb 2019 घर खो गया है जीवन की आपाधापी में, ख्वाहिश के तंग गलीचों में, सब कुछ पाने के सपनों में, ईमान कहीं सो गया है सच ही कहते हैं दुनिया वाले,…