कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 42 2 May 20202 May 2020 कैसे मनाए श्रम दिवस चुपचाप बैठा धाम मेंआंसू भरी आंखें लिएचिंता सताए शाम कीरोटी मिले या ना मिले बच्चों का क्रंदन असह्य हैभार्या का सूना भाल हैजीवन की प्रत्याशा घटीसुरसा…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 41 9 Mar 2020 होली - यादों के झरोखे से यादों में सिर्फ बची है अब, होली बचपन की भोली थीकटुता मिट जाती थी जिससे, खुद मिट गई आज वो होली भी उत्सव ना…
कविता/poetry… नव वर्ष मंगलमय हो / Happy New Year 1 Jan 20201 Jan 2020 वर्ष 2019 वास्तव में एक उतार चढ़ाव वाला वर्ष रहा जिसमें दुनिया ने बहुत सारे रंग देखे। आने वाले साल के स्वागत में तैयार सभी स्नेही जनों को अलबेला दर्पण…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 40 16 Dec 201916 Dec 2019 मौत और इश्क़ के बाद "जिंदगी" दिन रात जिए जिनकी खातिर, तम-गम का अक्स मिटाने कोरुखसत जो हुआ उस दुनिया से, जुट गए मेरा नक्श मिटाने कोमेरा यूं ही उठ…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 39 16 Nov 201916 Nov 2019 नेताजी सरकार चलाएंगे कल तक वो छूटभाई थे, रिजॉर्ट में छिपाए जाएंगेबिक न जाए घोड़ा कहीं, घर में घुडसाल बनाएंगेनोटों के बदले वोट से आगे, वो सरकार बनाएंगेकल के नेताजी…
कविता/poetry… दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं 27 Oct 201927 Oct 2019 आज दिवाली है 😊 दीपक हरता है तम जग का, दीपों की माला आली है जनमानस में आलोक भरे, देखो जी आज दिवाली है बहुरंगी दिए - मोमबत्ती की, ये…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 38 27 Oct 201927 Oct 2019 एक दिवाली ऐसी भी हर साल दीवाली आती है, सब लोग मनाने जाते हैं कुछ छुट्टी पर घर आते हैं, उत्साह से घर को सजाते हैं मचती है धूम रंगोली…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 37 4 Oct 20194 Oct 2019 बस जी ही तो रहे हैं लाखों उदास चेहरे, चुपचाप ताकते हैं हैं भीड़ में अकेले, हमराह चाहते हैं नहीं याद मुस्कुराना, कब खुल के खुद हंसे थे जीनी थी…
कविता/poetry… बातें – मेरी और आपकी – 12 29 Sep 201929 Sep 2019 My Pen Anniversary (Poetry) वैसे तो लिखने का शौक मुझे बचपन से ही रहा है लेकिन कविता लिखने का सबसे पहला प्रयोग मैंने पिछले साल आज के ही दिन प्रारंभ…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 36 25 Sep 201925 Sep 2019 बेटियां मां - बाप की हैं जान और सम्मान बेटियां छूती हैं आसमान, हैं पहचान बेटियां बेटों की चाह मौत के उस पार है खड़ी जीते हुए जो तार दे,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 35 14 Sep 201915 Sep 2019 मुगालता - ए - दारू बात पते की कहती दारू, पीते इसको जो घरबारू सेहत बचे ना तन पर गारू, घर बिकता छूटे मेहरारू सुबह सुबह सर भार लगे है,…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 34 7 Sep 20197 Sep 2019 चंद्रयान - 2 चंदा मामा का राज है क्या, इनका बहुरंग स्वभाव है क्या धरती के अंश से जन्म लिए, जीवन धरती सा प्राप्त है क्या बच्चों के ये मामा…