तकनीक वाला आदमी
निर्णय स्वयं लेना जहां दुश्वार बन जाए
बरसात का पानी जहां मझधार बन जाए
अच्छी नीयत का काम भी जंजाल बन जाए
जिंदा हो तन पर आत्मा कंकाल बन जाए
अपनों-परायों की नज़र एकतार बन जाए
उम्मीद का आमुख जहां सुरसा नजर आए
महफ़िल में एकाकी जहां अरमान बन जाए
समझो दबी है वेदना, बेशक ना दिख पाए
हालात हों खुद के या हो साथी कोई बेहाल सा
फौरन सहारा दीजिए, दिखता अगर बदहाल सा
संभालने को साथ में रहना नहीं है लाजिमी
दो कान को तरसे यहां तकनीक वाला आदमी
दो प्रीत के बोलों की है दरकार हर एक शख्स को
खुद के हृदय के आईने का डर सभी के अक़्स को
चाहे कोई भी रूप हो, मनमीत सम्मुख चाहिए
काया का है उपचार पर मानस को प्रीत ही चाहिए
© Arun अर्पण
Wow kya bat h sir
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बहुत बहुत धन्यवाद संगम सर
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Welcome Sir🙏
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