कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 55 26 Feb 202126 Feb 2021 तकनीक वाला आदमी निर्णय स्वयं लेना जहां दुश्वार बन जाएबरसात का पानी जहां मझधार बन जाएअच्छी नीयत का काम भी जंजाल बन जाएजिंदा हो तन पर आत्मा कंकाल बन जाए…