ये दुनिया आजकल …….
चलो, दो चार लम्हें प्यार से जी लें मेरे प्यारे
ये दुनिया जिंदगी में मौत के सपने सजाती है
चलो, लम्हों में जीवन ढूंढकर जी लें मेरे प्यारे
ये दुनिया मातमों में जश्ने – महफ़िल सजाती है
चलो, शिकवे भुलाकर जग नया ढूंढें मेरे प्यारे
ये दुनिया गफलतों में मौज के साधन जुटाती है
चलो, खुद से मोहब्बत की कला सीखें मेरे प्यारे
ये दुनिया शेर को भी आजकल बिल्ली बताती है
©Arun अर्पण