आज का इंसान
जरा कुछ देर रुककर सोचिए फिर दीजिए जवाब
वो दौर अब बाकी कहां जब मुंह पर बात होती थी
खुदी की बात पर मुंह मोड़ जाते दिन में चौदह बार
इंसान भी क्या कम जहां गिरगिट की बात होती थी
दिवस में सौ मुखौटे भी बदलता आज का इंसान
वो दौर अब पीछे है जब रावण की बात होती थी
दिवस में चांद तारों की झलक भी दिख रही मालिक
चंदा की कलाओं पर कभी स्नेहिल सी बात होती थी
©Arun अर्पण
बहुत ख़ूब👌
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बहुत बहुत धन्यवाद 😊
सादर सुप्रभात 🙏
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सुप्रभात🙏
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खूबसूरत
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Thanks a lot 😊
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