शायरी शायरी – 44 18 May 2020 चलते रहो सांसों के आखिरी छोर तकरुकने वालों की मंजिल केवल मौत हैसच है कि मरना है हर जन्मे जीव कोलेकिन घुटकर मरना भी कोई मौत है ? © Arun…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 44 17 May 2020 दान या दिखावा लड़कर वो खुद शमशीरों सेपत्थर को मकान बनाता हैआजीवन इज्जत को तरसेचुपचाप कहीं मर जाता है देखें हैं लुटेरे अरबों केबंगलों की नींव हैं लाशों परआंखों की…
शायरी शायरी – 43 15 May 2020 पथ कंटकों से पुष्प चुनने का ख्याल अच्छा हैदो पल सुकून के लिए थोड़ा बवाल अच्छा हैवापस संभलने के लिए खुद से सवाल अच्छा हैअस्तित्व की तलाश में थोड़ा मलाल…
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 43 5 May 20205 May 2020 दारू की बोतल और lockdown लाखों में बिक रही है आज दारू की बोतलऔर लोग कहते हैं कि देश यह गरीब हैचिथड़े लपेट कर भी वो खड़ा है ठेके परऔर…
शायरी शायरी – 42 4 May 20204 May 2020 वो निकल पड़ते हैं अंधी राह पर खामोश मगन होकेइश्क़ ही जब जहर से हो तो मरने से कब तक रोकें © Arun अर्पण
कविता/poetry काव्य श्रृंखला – 42 2 May 20202 May 2020 कैसे मनाए श्रम दिवस चुपचाप बैठा धाम मेंआंसू भरी आंखें लिएचिंता सताए शाम कीरोटी मिले या ना मिले बच्चों का क्रंदन असह्य हैभार्या का सूना भाल हैजीवन की प्रत्याशा घटीसुरसा…