सस्ता पानी या महंगी सोच ?
कल नई दिल्ली में एक भोजनालय में विजिट के दौरान हम लोगों ने देखा कि उस भोजनालय का एक कर्मी पानी की एक मोटी पाइपलाइन के पास दो बर्तन लेकर बैठा हुआ था और पानी बहुत तेज गति से बाहर निकल रहा था।

ऐसा लग रहा था कि किसी ने ट्यूबवेल चला कर छोड़ दिया हो। उस पाइपलाइन का एक हिस्सा जमीन के नीचे से अा रहा था जबकि दूसरा हिस्सा एक ज्वाइंट सॉकेट के जरिए वहीं पास में लगे एक बड़े से वाटर टैंक में लगा हुआ था। उस समय वह सॉकेट बाहर निकाल कर पानी बहाया जा रहा था।

हमने पूछा कि ये पानी ऐसे क्यों खुला हुआ है तो वहां के लोगों ने बताया कि ये दिल्ली मेट्रो के एसी का पानी है जिस पर हमें संदेह हुआ क्योंकि जिस रफ्तार से पानी निकल रहा था वह कम से कम किसी एसी प्लांट का तो नहीं हो सकता।

यह पूछने पर कि इसका पानी जाता कहां है, हमें बताया गया कि नाली में जाता है। अब हमारा दिमाग ठनका कि कुछ तो गड़बड़ है। इतने बड़े पैमाने पर पानी की बर्बादी यूं ही तो नहीं हो रही है।

फिर हमने पूछा कि ये बंद कैसे होगा तो जवाब मिला कि मेट्रो वालों के पास ही कंट्रोल है और वही बंद करेंगे।

हमारे रुख को देखकर यह भी कहा गया कि ये पानी पीने लायक नहीं है तो हम लोगों ने उनको डांटा कि पीने लायक न सही किसी और काम में तो लाया जा सकता है बल्कि वह खुद उसी पानी में बैठकर बर्तन साफ कर रहा था।

ये बातें अब असहनीय हो गई थीं और हमने वहीं डिस्कस किया कि इस मामले को संबंधित लोगों तक पहुंचाना जरूरी है। हमारी बातें सुनने के बाद उनमें से ही किसी ने उस पाइपलाइन का ज्वाइंट सॉकेट फिर से जोड़ दिया और पानी रुक गया।

कल तो हमने देख लिया तो विरोध किया। यह सिलसिला न जाने कितने दिनों से चल रहा था और आगे भी न जाने कितने दिनों तक चलेगा। एनडीएमसी, दिल्ली सरकार या अन्य जिम्मेदार संस्थाओं के लोगों को आखिर इस बर्बादी की खबर क्यों नहीं है या फिर उनकी जिम्मेदारी बस राजस्व इकट्ठा करने तक ही सीमित रह गई है?

यह मामला तो एक बानगी भर है। ऐसे न जाने कितने उदाहरण होंगे जहां सैकड़ों हजारों लीटर पानी अनायास ही बहाया जा रहा है। यह मामला मैं यहां इसलिए पोस्ट कर रहा हूं क्योंकि ऐसे मामलों में सबसे ज्यादा प्रभावित लोग हम और आप ही हैं। इसलिए ऐसी किसी भी बर्बादी को रोकने की पहली जिम्मेदारी भी हमारी ही है।

एक तरफ हम पानी की एक बोतल खरीदने के लिए अच्छी खासी कीमत चुकाते हैं तो दूसरी तरफ हजारों लीटर पानी ऐसे ही बह जाने देते हैं। ये कहां की बुद्धिमानी है?

एक तरफ जहां भारत सरकार जल संचय के लिए दिन रात अभियान चला रही है तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे उदाहरण सामने हैं जहां पानी को अकारण ही नाली का रास्ता दिखाया जा रहा है। अगर जल ही कल है तो थोड़े से फायदे के लिए की जा रही ऐसी बर्बादी पर ध्यान देना नितांत आवश्यक है।

© अरुण अर्पण
Image credit – जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार का फेसबुक पेज
बहुत अच्छा।
हम सब को इसके बारे में सोचना चाहिए।
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जी सर
Thanks for being the part of concerned team 😊
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बढ़िया पोस्ट !
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धन्यवाद 😊
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बहुत सुंदर और लाजवाब पोस्ट 👌, बहुत ही सराहनीय कदम
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बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
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🙏स्वागतम
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