अयोध्या विवाद – सम्पूर्ण घटनाक्रम
पिछले कई दशकों से जो मामला भारत में सबसे अधिक चर्चा में रहा है वो है – अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल विवाद
1885 में जो कानूनी लड़ाई शुरू हुई थी वो आज तक अनवरत जारी है। इस मुद्दे पर तमाम तरह की बहस भी बहुतायत मात्रा में की जाती रही है लेकिन अभी तक इस मामले का कोई ठोस हल नहीं निकल पाया है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में प्रतिदिन सुनवाई कर रहा है इसलिए उम्मीद है कि जल्द ही कोई सर्वमान्य फैसला सामने आएगा और इस विवाद का पटाक्षेप होगा
चूंकि यह मामला न्यायालय में परीविक्षा का विषय है अतः मैं फिलहाल इस मुद्दे पर अपनी कोई राय नहीं रखूंगा फिर भी इस मामले की पृष्ठभूमि से प्रतियोगी वर्ग और जागरूक पाठकों को अवगत कराने के लिए मैं आज यह पोस्ट लेकर आया हूं जो दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) के 3 अगस्त 2019 के अंक में छपी सूचना का प्रतिरूप है।
- अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि विवाद
- सम्पूर्ण घटनाक्रम –
- 1528 – मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया
- 1885 – महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दाखिल करके राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद ढांचे के बाहर छतरी निर्माण की अनुमति मांगी जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया
- 1949 – विवादित ढांचे के बाहर मुख्य गुंबद के नीचे राम लला की मूर्ति रखी मिली
- 1950 – गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में मुकदमा दायर कर राम लला की पूजा करने की अनुमति मांगी
- परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए मुकदमा दायर किया
- 1959 – निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल पर कब्जा देने की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया
- 1981 – उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने विवादित स्थल का कब्जा देने की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया
- 1 फरवरी 1986 – स्थानीय अदालत ने हिन्दुओं के लिए विवादित स्थल का ताला खोलने के आदेश दिए
- 14 अगस्त 1989 – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए
- 6 दिसम्बर 1992 – राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा ढहाया गया
- 3 अप्रैल 1993 – केंद्र सरकार ने कानून बनाकर विवादित क्षेत्र के एक हिस्से का अधिग्रहण किया
- कानून के विभिन्न पहलुओं का विरोध करते हुए इस्माइल फारूकी समेत कई अन्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की
- संविधान के अनुच्छेद 139-ए में दिए गए विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय में लंबित सभी याचिकाओं को अपने यहां स्थानांतरित किया
- 24 अक्टूबर 1994 – इस्माइल फारूकी मामले में दिए गए अपने ऐतिहासिक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है
- अप्रैल 2002 – विवादित क्षेत्र के मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट ने सुनवाई शुरू की
- 13 मार्च 2003 – असलम उर्फ भूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहीत किए गए हिस्से में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती
- 30 सितम्बर 2010 – हाईकोर्ट ने 2-1 के अनुपात में विवादित क्षेत्र का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच तीन हिस्सों में विभाजन किया
- 9 मई 2011 – सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई
- 21 मार्च 2017 – चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने विभिन्न पक्षों को कोर्ट के बाहर मामले को सुलझाने की सलाह दी
- 7 अगस्त 2017 – सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 1994 में दिए गए फैसले को चुनौती देने वाली याचकाओं को सुनने के लिए तीन जजों की पीठ बनाई
- 8 फरवरी 2018 – सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई की
- 20 जुलाई 2018 – सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
- 27 सितम्बर 2018 – सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पांच जजों की संविधान पीठ को सौंपने की बात से इंकार करते हुए कहा कि इस पर तीन जजों की नई पीठ 29 अक्टूबर से सुनवाई करेगी
- 29 अक्टूबर 2018 – सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी के पहले सप्ताह में उपयुक्त पीठ द्वारा सुनवाई की बात कही
- 24 दिसंबर 2018 – सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार जनवरी से करने की बात कही
- 4 जनवरी 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक उपयुक्त पीठ 10 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय करने के लिए आदेश पारित करेगी
- 8 जनवरी 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ गठित की। पीठ में अन्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे, एनवी रमना, यूयू ललित और डी वाई चंद्रचूड़ थे
- 10 जनवरी 2019 – जस्टिस यू यू ललित ने सुनवाई से खुद को अलग किया। सुनवाई की अगली तारीख 29 जनवरी तय की गई
- 25 जनवरी 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ का पुनर्गठन किया। नई पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस ए नजीर शामिल हैं
- 29 जनवरी 2019 – अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन उनके मूल मालिकों को लौटाने के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी
- 26 फ़रवरी 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने विवाद को मध्यस्थता से निपटाने की बात कही
- 8 मार्च 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने विवाद के निपटारे के लिए शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला के नेतृत्व में मध्यस्थता पैनल का गठन किया
- 9 अप्रैल 2019 – निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में अधिग्रहित जमीन लौटाने के केंद्र सरकार के कदम का विरोध किया
- 9 मई 2019 – तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल ने अंतरिम रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी
- 10 मई 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को 15 अगस्त तक का समय दिया
- 11 जुलाई 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया की प्रगति रिपोर्ट मांगी
- 15 जुलाई 2019 – विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट से लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती मामले का निपटारा करने के लिए 6 और महीने का समय मांगा
- 18 जुलाई 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दी और एक अगस्त को रिपोर्ट देने को कहा
- 19 जुलाई 2019 – सुप्रीम कोर्ट ने विशेष जज को फैसला देने के लिए नौ महीने का समय दिया
- 1 अगस्त 2019 – सीलबंद लिफाफे में मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी
- 2 अगस्त 2019 – मध्यस्थता का प्रयास असफल होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से रोजाना सुनवाई का निश्चय किया
- सम्पूर्ण घटनाक्रम –
6 अगस्त से लेकर आज तक इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में रोजाना चल रही है। इस प्रक्रिया से यह उम्मीद जरूर बंधी है कि विश्व के न्यायिक इतिहास के प्राचीनतम मामलों में से एक इस मामले का भी कोई स्थाई और सर्वमान्य हल शीघ्र ही सामने आएगा। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि सुनवाई करने वाली वृहद पीठ के अध्यक्ष चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इसी साल 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
Thank you sir, it’s important for many aspirants🙂
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Thanks Subi
It’s my pleasure to come up with relevant materials for aspirants
All the best for your studies
Stay fit stay blessed
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Thank you 😊
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