- आइबीसीसी संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी
- 2016 में कानून बनने के बाद ये यह तीसरा संशोधन
- कंपनियों के दिवालिया होने से संबंधित प्रक्रिया को निपटाने के लिए 330 दिन का समय निर्धारित।
- इस समय सीमा में मुकदमेबाजी का चरण और न्यायिक प्रक्रिया भी शामिल है
- पहले यह अवधि 270 दिन थी
- कर्जदाताओं की समिति को समाधान प्रक्रिया से मिली रकम के बंटवारे का अधिकार होगा
- एनसीएलटी को बताना होगा कि किसी कम्पनी के खिलाफ दिवालिया याचिका स्वीकार करने में देरी की वजह क्या रही
- केंद्र और राज्य सरकारों समेत सभी वैधानिक प्राधिकरणों को समाधान योजना स्वीकार्य होगी
- बोलीकर्ताओं के लिए समाधान योजना से पीछे हट जाना आसान नहीं होगा
- सबसे बड़ा floating solar energy power plant
- फ्रांस के पायोलेंक में स्थित पॉवर प्लांट ओमेगा 1
- यूरोप का सबसे बड़ा और फ्रांस का पहला तैरता हुआ सोलर एनर्जी फार्म
- क्षमता – 17 मेगावाट
- झील की सतह पर 17 हजार हेक्टेयर में फैले 47 हजार फोटोवोल्टिक पैनल
- 47000 घरों को बिजली की आपूर्ति की जा सकेगी
- फ्रांस के पायोलेंक में स्थित पॉवर प्लांट ओमेगा 1
- बर्फीले ग्रहों पर जीवन की संभावना
- जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित टोरंटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अध्ययन
- अध्ययन के अनुसार –
- बर्फीले ग्रहों की भूमध्य रेखाओं के पास के क्षेत्रों में रहने लायक तापमान हो सकता है
- ऐसे कुछ ग्रहों का पता चला है और संभव है कि इन ग्रहों के रहने योग्य क्षेत्रों के तारे से विशिष्ट दूरी की वजह से वहां का तापमान सामान्य और पानी तरल अवस्था में उपलब्ध हो सकता है
- हमारी पृथ्वी भी 2 से 3 बार हिमयुग के दौर से गुजरी है लेकिन फिर भी यहां जीवन बच गया। हिमयुग में भी सूक्ष्म जीव बचे रहे।
- पृथ्वी अपने हिमयुग के दौरान भी रहने योग्य थी। यहां जीवन हिमयुग से पहले पनपा था जो हिमयुग और उसके बाद भी बरक़रार रहा
- कंप्यूटर मॉडल से हुआ अध्ययन
- सूर्य की रोशनी की मौजूदगी और क्षेत्रों के आकार के आधार पर मॉडल बनाए गए तथा कार्बन डाइऑक्साइड पर विशेष ध्यान दिया गया
- कार्बन डाइऑक्साइड की वजह से ही ग्रहों में गर्मी होती है और जलवायु परिवर्तन होते हैं
- इसके बिना ग्रहों के महासागर जमकर बेजान हो जाते हैं
- जब वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर कम हो जाता है तो ग्रह snowball यानी बर्फीले हो जाते हैं
- जब इन इलाकों पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है तो इनकी भूमध्य रेखाओं के आसपास के क्षेत्रों में बर्फ के पानी बनने की संभावना प्रबल हो जाती है
- इस आधार पर अध्ययन में अनुमान व्यक्त किया गया है कि बर्फीले ग्रहों पर जीवन संभव हो सकता है
- सूर्य की रोशनी की मौजूदगी और क्षेत्रों के आकार के आधार पर मॉडल बनाए गए तथा कार्बन डाइऑक्साइड पर विशेष ध्यान दिया गया
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 2 अगस्त 2019