असम का एनआरसी – क्या है मामला
- 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में आना जाना जारी रहा
- 1979 में असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों के खिलाफ All Assam Students’ Union ने आंदोलन किया
- 1985 में तत्कालीन राजीव गांधी सरकार द्वारा असम गण परिषद के साथ किए गए समझौते के तहत 25 मार्च 1971 से पहले से असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया
- असम में पहला एनआरसी 1951 में बना था
- बाद में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपडेट करने को कहा था। तब से अब तक इसमें कई अपडेट हो चुके हैं किंतु यह मामला सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है
उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 20 प्रतिशत आरक्षण
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ द्वारा सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 20 प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण देने का फैसला
- कैसे काम करेगा यह फैसला –
- कोर्ट के अनुसार महिला एक विशेष वर्ग और अलग सामाजिक श्रेणी है
- यह व्यवस्था दो स्तर पर लागू होगी–
- मेरिट लिस्ट में चयनित महिला को अपने वर्ग में शामिल किया जाएगा
- जिस वर्ग में कोटे की सीट नहीं भरी होगी उस सीट पर उस श्रेणी की महिला का चयन किया जाएगा तथा वह अंतिम चयनित पुरुष का स्थान लेगी
- यदि सामान्य वर्ग की 20 प्रतिशत महिला मेरिट लिस्ट में चयनित हैं तो उसमें कोटा लागू करने की जरुरत नहीं होगी
- आरक्षित श्रेणी में जिस श्रेणी की सीट खाली होगी उसी श्रेणी की महिला का चयन किया जाएगा
चांद पर 50 साल – एक Report
- अपोलो कार्यक्रम –
- अमेरिका द्वारा संचालित
- अपोलो एक से दस तक पूरी प्रक्रिया को जांचा – परखा गया
- अपोलो 11, 12, 14, 15, 16 और 17 द्वारा इंसानों को चांद पर उतारा गया और उनकी सकुशल वापसी सुनिश्चित की गई
- अपोलो – 13 में खराबी आ जाने के कारण यह चांद की सतह पर नहीं उतर सका
- चांद से लाए गए विभिन्न नमूनों पर अनेकों वैज्ञानिक प्रयोग किए गए
- 20 अप्रैल 1972 को अपोलो 17 नामक आखिरी अभियान के बाद इस कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया
- अपोलो – 11 अभियान–
- 16 जुलाई 1969 को लांच हुआ और 20 जुलाई को इंसान के कदम पहली बार चांद पर पड़े
- 24 जुलाई को यह यान धरती पर वापस आ गया
- यह चांद पर इंसान की पहली सफल लैंडिंग थी
- आर्मस्ट्रांग और एल्ड्रिन ने लगभग दो घंटे तक चांद की सतह पर चहलकदमी की और कुल मिलाकर 21 घंटे 36 मिनट का समय चांद पर बिताया
- कैसे तय हुई ऐतिहासिक यात्रा –
- नीचे दी गई तस्वीर देखें
- महाबली रॉकेट – सैटर्न वी –
- अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास का सबसे बड़ा और ताकतवर रॉकेट
- 100 मीटर से अधिक लंबा और 2800 टन वजनी रॉकेट द्वारा लांचिंग के समय प्रति सेकेंड 20 टन ईंधन का दहन
- कुल वजन का 85 प्रतिशत ईंधन भरा हुआ था
- स्पेस वार की समाप्ति –
- 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ द्वारा स्पुतनिक – 1 नामक पहला उपग्रह लांच करने के साथ ही स्पेस वार की शुरुआत
- अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर द्वारा नासा का गठन और मानव को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट मर्करी की शुरुआत
- 12 अप्रैल 1961 को सोवियत अंतरिक्ष एजेंसी के यूरी गागरिन पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले पहले व्यक्ति बने
- 5 मई 1961 को एलन शेपर्ड 15 मिनट की सबआर्बिटल यात्रा पूरी करके अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमेरिकी बने
- अपोलो अभियान की सफलता के ही दिन सोवियत अंतरिक्ष यान लूना– 15 के दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ ही स्पेस वार समाप्त हो गया

मंगल और सिलिका एयरोजेल का संबंध
- नासा और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शाsधकर्ताओं ने एक अध्ययन में दावा किया है कि सिलिका एयरोजेल से मंगल ग्रह को रहने लायक बनाया जा सकता है
- सिलिका एयरोजेल एक ऐसी सामग्री है जो पृथ्वी के वायुमंडल की तरह ही अन्य ग्रहों को ग्रीनहाउस प्रभावों से बचा सकती है
- कार्ल सागन ने सबसे पहले ये दावा किया था कि सौरमंडल के अन्य ग्रहों पर भी जीवन संभव हो सकता है।
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 20 जुलाई 2019
आज के अंक से संबंधित पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें – सामयिकी – 20 जुलाई 2019
Great initiative by you Sir to help people by providing them such a useful information…👍👍
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Thanks a lot sir
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Ohh Am not sir, am just around 21, you looks senior that’s why I respected you, BTW nice to heard that…😅 Your post are really informative, keep goin on
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😀😀😀
Thanks
All the best
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