- जी – 20 घोषणा पत्र
- गंभीर आर्थिक अपराध से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जल्द ही प्रपत्र तैयार किया जाएगा जो इन अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने की राह खोलेगा
- एक देश में आर्थिक अपराध करके दूसरे देश में पनाह लेने वाले अपराधियों के खिलाफ भारत की मुहिम का असर
- Financial Action Task Force को और मजबूत बनाने का जबरदस्त समर्थन किया गया है। इसमें कहा गया है कि FATF के तहत आतंकी फंडिंग या मनी लांड्रिंग या गलत तरीके से जमा राशि की रोकथाम में लगी एजेंसियों के बीच ग्लोबल नेटवर्क बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा FATF के तय मानकों को तेजी से लागू करने की बात भी कही गई है
- यह घोषणा भी भारत के लिए एक कूटनीतिक उपलब्धि है वहीं यह खबर पाकिस्तान के संदर्भ में अच्छी नहीं है क्योंकि पाकिस्तान पहले से ही ग्रे लिस्ट में शामिल है और उसके उपर ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का खतरा लगातार मंडराता जा रहा है
- आतंकवाद और चरमपंथ को धन मुहैया कराने और उन्हें प्रोत्साहन देने में इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगाने का संकल्प लिया गया। इंटरनेट के खुला, मुक्त और स्वतंत्र होेने पर जोर तो दिया गया लेकिन यह आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं होना चाहिए
- अमेरिका के अलावा अन्य 19 देशों ने पर्यावरण सुरक्षा को लेकर किए गए पेरिस समझौते पर भी सहमति जताई। हालांकि भारत डिजिटल इकोनॉमी पर ओसाका घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना है तथा जापान और अमेरिका की अगुवाई में बने इस घोषणापत्र का भारत समेत अनेक विकासशील देश विरोध कर रहे हैं।
- गंभीर आर्थिक अपराध से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जल्द ही प्रपत्र तैयार किया जाएगा जो इन अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने की राह खोलेगा
- उत्तर प्रदेश में 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा
- अनुसूचित जाति में शामिल की जा रहीं 17 जातियों की कुल हिस्सेदारी तो करीब 13.63 प्रतिशत बताई जा रही है लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा 10.25 प्रतिशत की हिस्सेदारी 13 निषाद जातियों की ही है। इनके अलावा राजभर 1.32 और कुम्हार 1.84 प्रतिशत हैं।
- शामिल की गई जातियां –
- कहार
- कश्यप
- केवट
- मल्लाह
- निषाद
- कुम्हार
- प्रजापति
- धीवर
- बिंद
- भर
- राजभर
- धीमर
- बाथम
- तुरहा
- गोड़िया
- माझी
- मछुआ
- इन जातियों को अनुसूचित जाति के तहत जारी प्रमाण पत्र की वैधता हाई कोर्ट में लंबित एक याचिका के अंतिम फैसले के अधीन होगी
- Startups के लिए 10000 करोड़ का फंड
- Startups के funding जरुरतों को पूरा करने के उद्देश्य से
- इसे Fund of Funds भी कहा जा रहा है
- DPIIT ने पिछले सप्ताह तक 19351 startups की पहचान की है
- Fund of Funds के लिए DPIIT एक निगरानी एजेंसी और सिडबी एक परिचालन एजेंसी है
- राज्यवार स्थिति –
- प्रथम – महाराष्ट्र (3661)
- द्वितीय – कर्नाटक (2847)
- तृतीय – नई दिल्ली (2552)
- चतुर्थ – उत्तर प्रदेश (1566)
- Start Up India पहल की शुरुआत – 16 जनवरी 2016
- इसका उद्देश्य देश में Innovation और उद्यमिता के लिए एक मजबूत और समावेशी परितंत्र का निर्माण करना है
- अरुणांचल प्रदेश में मिली कछुए की दुर्लभ प्रजाति
- मनोरिया इंप्रेसा की मौजूदगी की खबर
- पहचान – नारंगी और भूरे रंग के आकर्षक धब्बे
- यह प्रजाति मुख्य रुप से म्यांमार, थाइलैंड, लाओस, वियतनाम, कंबोडिया, चीन और मलेशिया में पाई जाती है
- भारत में पहली बार इस प्रजाति के कछुए पाए गए हैं
- गुवाहाटी की संस्था Help Earth, बेंग्लुरु स्थित Wildlife Conservation Society और अरुणांचल प्रदेश के वन विभाग के शोधकर्ताओं की संयुक्त खोज
- एक नर और एक मादा कछुए को निचले सुबनसिरी जिले के याजली वन क्षेत्र में पाया गया है
- इसके साथ ही भारत में पाए जाने वाले गैर–समुद्री कछुओं की कुल 29 प्रजातियां ज्ञात हो चुकी हैं
- वनों में रहने वाले कछुओं की चार प्रजातियां दक्षिण – पूर्व एशिया में पाई जाती हैं जिनमें मनोरिया इंप्रेसा भी शामिल है
- मनेरिया वंश के कछुए की इस प्रजाति का आकार एशियाई जंगली कछुओं के आकार का एक तिहाई है तथा ये कम से कम 1300 मीटर की उंचाई वाले पर्वतीय जंगलों और नम क्षेत्रों में पाए जाते हैं
- शोधकर्ताओं के अनुसार मनोरिया वंश के कछुओं की सिर्फ दो प्रजातियां मौजूद हैं जिनमें सिर्फ एशियाई जंगली कछुओं के बारे में ही जानकारी थी। इस खोज के बाद इंप्रेस्ड का नाम भी इसमें जुड़ गया है
- मनोरिया इंप्रेसा की मौजूदगी की खबर
- ग्लू के जरिए औजार बनाते थे निएंडरथल
- पत्थरों के औजारों में लकड़ी के हैंडल चिपकाने के लिए चीड़ के पेड़ों से निकलने वाले ग्लू (लीसा) का प्रयोग
- शोधकर्ताओं के अनुसार यह पदार्थ अकार्बनिक पदार्थ की गाद भी हो सकती है लेकिन इस बात की संभावना ज्यादा है कि ये पत्थर के औजारों से हैंडल को चिपकाने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला ग्लू हो सकता है
- इस बात का पता लगाने के लिए इटली की पिसा यूनिवर्सिटी में इलारिया डेगनो ने गैस क्रोमैटोग्राफी नामक तकनीक का उपयोग करके 10 चमकदार पत्थरों का रासायनिक विश्लेषण किया और पाया कि पत्थर के उपकरणों में स्थानीय चीड़ के पेड़ाें से निकलने वाला ग्लू (लीसा) लगाया गया था
- एक – दो मामलों में लीसा के साथ मोम का भी प्रयोग किया गया था
- इतालवी निएंडरथल पत्थर के औजारों का उपयोग करने के लिए सीधे हाथ में नहीं लेते थे बल्कि उन्हें लकड़ी या हडि्डयों से सहारा देकर आखेट किया करते थे
- अमेरिका के बोल्डर स्थित University of Colorado के शोधकर्ताओं की खोज PSOL one journal में प्रकाशित
- इस अध्ययन के निष्कर्ष के अनुसार निएंडरथल का बढ़ता शरीर इस बात का सबूत है कि ये होमो सेपिएंस से ज्यादा चालाक थे
- कुछ अध्ययनों के अनुसार निएंडरथल होमो सेपियंस के ही चचेरे भाई थे जिन्हें बाद में होमो सेपियंस की टोली से बाहर कर दिया गया था
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 30 जून 2019
आज के अंक से संबंधित पीडीएफ डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें – सामयिकी – 30 जून 2019
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