- संप्रग राज का एक और घोटाला – ट्रेनर विमान की खरीद में दलाली के आरोप
- वर्ष 2012 में वायुसेना के लिए कुल 2895 करोड़ रुपए में पिलैटस ट्रेनर विमान खरीदने में कुल 350 करोड़ रुपए से अधिक की दलाली लेने के मामले में सीबीआई द्वारा संजय भंडारी और वायुसेना तथा रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज
- संजय भंडारी के घर और विमान निर्माता कंपनी पिलैटस के दफ्तर समेत दिल्ली, नोयडा और गाजियाबाद में कुल नौ ठिकानों पर सीबीआई के छापे
- प्रारंभिक जांच में खरीद प्रक्रिया में पिलैटस और संजय भंडारी के बीच आपराधिक साजिश के सबूतों के साथ साथ पिलैटस की ओर से संजय भंडारी के खातों में सैकड़ों करोड़ रुपए जमा कराने के भी सबूत मिले
- एफआइआर के अनुसार घोटाले की कड़ियां –
- 2008–09 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने वायुसेना के लिए 75 विमान खरीदने का फैसला लिया
- स्वीट्जरलैंड की कंपनी पिलैटस ने संजय भंडारी की कंपनी ऑफसेट इंडिया के साथ इसमें मदद करने के लिए करार किया तथा दो किस्तों में कंपनी के स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में 10 लाख स्विस फ्रैंक यानी मौजूदा दरों के हिसाब से लगभग सात करोड़ रुपए जमा कराए
- इसके बाद वायुसेना और पिलैटस के बीच 75 विमानों की खरीद का सौदा हुआ किंतु पिलैटस ने जानबूझकर इस करार के लिए संजय भंडारी की सेवाएं लेने की बात जाहिर नहीं की जबकि यह करार की इस शर्त का खुला उल्लंघन था कि इस सौदे में किसी भी प्रकार के दलाल की सेवाएं नहीं ली जाएंगी
- 2012 से 2015 के बीच जिस समय पिलैटस भारतीय वायु सेना को ट्रेनर विमानों की सप्लाई कर रही थी तो दूसरी तरफ संजय भंडारी के भारत और दुबई स्थित कंपनियों में करोड़ों रुपए जमा करा रही थी। प्राप्त सबूतों के आधार पर यह रकम लगभग 350 करोड़ रुपए है हालांकि दलाली की वास्तविक रकम का खुलासा विस्तृत जांच के बाद ही किया जा सकेगा
- दलाली के इस पैसे से संजय भंडारी ने नकद देकर कई कंपनियां खरीदीं और नकद के बदले अन्य कंपनियों से अपनी कंपनी में फंड ट्रांस्फर कराए
- आरोप है कि इस घोटाले की रकम से ही संजय भंडारी ने रॉबर्ट वाड्रा के लिए लंदन में संपत्तियां खरीदीं और जांच एजेंसियाें के बढ़ते दबाव को देखते हुए एक दिन चुपचाप लंदन भाग गया
- जांच एजेंसियां इस मामले में कई बार रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ कर चुकी हैं और उनका दावा है कि इस आरोप के पीछे उनके पास पुख्ता सबूत उपलब्ध हैं
- स्वच्छता पर भारत की बदलती तस्वीर
- Open Defecation Free के क्षेत्र में भारत ने स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण प्रगति की है जिस संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी नई रिपोर्ट में स्वीकार किया है
- 2000 से 2014 के बीच खुले में शौच के मामले में भारत ने प्रतिवर्ष करीब तीन प्रतिशत की कमी दर्ज कराई थी जबकि स्वच्छ भारत अभियान के लांच होने के बाद यही आंकड़ा बढ़कर 2015 से 2019 के बीच 12 प्रतिशत की कमी तक पहुंच गया
- वर्ष 2000 से 2017 के बीच भारत ने इस मामले में 47 प्रतिशत की कमी लाने का काम किया है
- इसी अवधि में 91 देशों के लगभग 69.6 करोड़ लोग खुले में शौच से मुक्त हुए जिनमें एक तिहाई मध्य और दक्षिण एशिया के थे जबकि उसी दौरान उप–सहारा अफ्रीका जैसे देशों में बढ़ती आबादी के कारण खुले में शौच जाने वालों की संख्या में 49 करोड़ की वृद्धि भी दर्ज की गई है
- खुले में शौच की कमी के मामले में भारत शीर्ष के देशों में शामिल है और उससे उपर केवल कंबोडिया और इथियोपिया ही हैं। वहीं 23 देश ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से open defecation free होने के कगार पर हैं
- पुस्तक और लेखक
- Life on the Edge – राजीव पुंडीर
- मंथन का सागर – संजीव सान्याल
- नियुक्ति
- अमेरिकी रक्षा मंत्री – मार्क एस्पर
- जिम मैटिस के इस्तीफे के बाद से खाली इस पद पर वर्तमान में सेना में सचिव के पद पर कार्यरत एस्पर की नियुक्ति सांसदों के भारी दबाव के कारण की गई है
- अमेरिकी रक्षा मंत्री – मार्क एस्पर
- नूबा कुश्ती
- सूडान में नूबा की पहाड़ियाें में उत्पन्न यह प्राचीन खेल सूडान में अत्यंत लोकप्रिय है
- नूबा कुश्ती महासंघ द्वारा आयोजन
- 3D Robotic Arm
- पूर्वी चीन के शिनजियांग प्रांत के शोधकर्ताओं द्वारा निर्मित
- नैंग्बो शिजिंग कंपनी और चाइना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन के शोध संस्थान द्वारा संयुक्त रुप से विकसित
- लेजर स्कैनर से कपड़े को तुरंत टुकड़ों में बांटकर चंद मिनटों में ही सिलने में सक्षम
- पूर्वी चीन के शिनजियांग प्रांत के शोधकर्ताओं द्वारा निर्मित
- देर तक काम करने पर स्ट्रोक का जोखिम ज्यादा
- वर्ष 2012 से फ्रांस के 143592 प्रतिभागियों के डाटा का विश्लेषण
- दिन में लगातार 10 घंटे तक काम करने वालों में ज्यादा खतरा
- अध्ययन में पाया गया कि स्ट्रोक से पीड़ित लोगों में से 29 प्रतिशत ऐसे थे जो देर तक काम करते हैं। इसमें 10 प्रतिशत ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से 10 घंटे से ज्यादा समय तक काम कर रहे हैं
- शोधकर्ताओं के अनुसार वर्षों से 10 घंटे से ज्यादा काम करने वाले लोगों में स्ट्रोक का खतरा 45 प्रतिशत तक बढ़ जाता है तथा यह आदत अनेकों अन्य बीमारियों को भी जन्म देती है
साभार – दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण) दिनांक 23 जून 2019
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