राम और आधुनिक भारत
हे राम! न आना कलयुग में, यह त्रेता युग का दौर नहीं
तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, यहां मर्यादा का ठौर नहीं
रिश्ते नाते, साम्राज्य देश के हित का किसी को गौर नहीं
अपने अपने की अंधी दौड़ में, आदर्शों का ही मोल नहीं
भ्राता खातिर तुम उद्धत थे, लड़ने को सारी सृष्टि से
छोड़ा हर सुख और सौंप चले, साम्राज्य भाई के हाथों में
अब भाई को भाई मारे, आदर्श तुम्हारे भूल चले
लूटे भाई, भाई का घर, रिश्तों की सीमा तोड़ चले
बचपन में त्याग दिया था घर, लड़ने को चले थे असुरों से
तुम पितृभक्त अतुलित मानव, महलों को छोड़ बसे वन में
सौतेली मां की इच्छा पर, स्वीकार किया दुर्गम वनवास
अब माता पिता पानी मांगे, पर कोई सुने ना उनकी प्यास
जीवन भर व्रत एक पत्नी का, धारण कर तुम आदर्श बने
बहु पत्नी प्रथा के दौर में तुम, परिवर्तन के प्रतिदर्श बने
अब बंधन लगे विवाह कठिन, विवाहेत्तर के सब आशिक हैं
कोई सखी मिली थी काशी में, कोई सखा बना है नासिक में
रावण का समूल विनाश किया, पत्नी के हरण का दंड दिया
बालि कथा को दिया विश्राम, जिसने लूटा था मित्र आगार
देते हैं सब अब तक मिसाल, फिर राम राज्य लौटे एक बार
हो भारत के उन्नायक तुम, सबके मन मंदिर के भगवान
भाग्यवान, हे राम, थे तुम, जो एक दशानन था तत्क्षण
अब एक के आनन में दिख जाते, दस दशानन के लक्षण
हर एक जगह दिखते भेदी, पर हनुमान सा भक्त नहीं
हर घर बन गया एक लंका, समाधान मिला ना सशक्त कहीं
राजनीति भी खूब हुई है, मंदिर और अयोध्या पर
भक्त तुम्हारे कहते खुद को, कोर्ट में केस लड़ें तुम पर
बेहतर है तुम बस जाओ, फिर से हर जन के मानस में
राम राज के सपने को, साकार करें हर जीवन में
हे राम! नमन शत शत तुमको, हो जन्मदिवस सुंदर पावन
चैत्र शुक्ल नवमी की तिथि, भारत में बड़ी है मनभावन
नहीं मंत्र मुझे आते, ना ही विद्वान बड़ा मैं ग्रंथों का
हूं क्षमा प्रार्थी हे तात! समर्पित काव्य चरण में शब्दों का
बहुत बहूत उतम
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सादर धन्यवाद
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लेखन की कला सबको नशीब नही होती, भाग्यवान हैं आप । इसको और धार दीजिये और सुधार तो निरंतर प्रक्रिया है, ग्रहण कीजिये।
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धन्यवाद भैया। आपका प्रोत्साहन ही हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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Atyant yarthatwaadi anurupan hai Pandey ji. Sadar pranam aapko aur aapko Kavita ko
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सादर धन्यवाद तिवारी जी
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