
सुना है कि आज से अल्हड़ प्रेमियों का वेलेंटाइन सप्ताह शुरू हो रहा है जिसका पहला दिन rose day है। सरकती पैंट को संभालते हुए कल्लू ने बताया कि आज के दिन एक दूसरे को गुलाब का फूल देने का रिवाज है और ऑनलाइन प्रेमीगण तो ऑनलाइन ही अपनी “बहती नाक पोछती गुलाबो” को गुलाब दे पाएंगे न। जियो वाले फोन में आंख गड़ाकर देखते हुए मंटू की परेशानी यह थी कि वह सबसे सुंदर वाला गुलाब कौन सी वेबसाइट से चुरा कर अपनी घास काटती टुन्नी को भेजे। वैसे तो मुझे इसके इतिहास भूगोल के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता लेकिन फिर भी अपनी गैलरी के एक कोने में पड़े इस प्यारे से गुलाब को आज पोस्ट कर रहा हूं। अगर किसी के मंटू, गुलाबो, कल्लू या टुन्नी को पसंद आ जाए तो एक बार thanks जरूर बोल दीजियेगा 😀। वैसे तो प्रेम प्रतीकों का मोहताज नहीं होता लेकिन फिर भी, आप सभी को प्यार भरी राम राम। चलते हैं जी, अब कल मिलेंगे एक नई कविता के साथ। तब तक पढ़ते रहिए, हंसते रहिए, और हां, दुवाओं में याद रखिए। धन्यवाद।