आज की भागती हुई दुनिया में अगर कोई चीज किसी के पास सबसे कम है तो वो है समय। विडम्बना ये है कि दुनिया में सबसे अधिक बर्बाद किया जाने वाला तत्व भी समय ही है। अंधी दौड़ में भागता हुआ मनुष्य यह निर्णय नहीं ले पाता कि वो कागज़ के टुकड़े बटोरे या फिर अपने लिए कुछ समय निकाल कर कुछ ऐसा करे जो उसे अच्छा लगता है।
अफसोस कि उन्हें चंद कागज़ वक्त से ज्यादा कीमती लगे और वक्त की कीमत तब समझ में आई जब वक्त ने ही उनसे मुंह मोड़ लिया।