सफलता की राह
हो दुःख का अट्टहास भले
या असफलता की रौनाई
हो भले कदम दर कदम सही
अनंत भयानक कठिनाई
तुम हिम्मत कभी न हारना
तुम कोशिश कभी न छोड़ना
तुम जीतोगे, जीतोगे ही
गुन, लड़ना फिर, लड़ते जाना
तुम हो जीवन के पथिक अडिग
तुममें जीवन की है जिंदगी
रखना जीवंत खुद को खुद में
करना ईश्वर की बंदगी
लेना तुम सहारा खुद से
असफलता से मत घबराना
गर कोई मजाक उड़ाए फिर
न कहना कुछ, बस मुस्काना
है नियम श्रृष्टि का एक अटल
रजनी के बाद सवेरा है
है यही हाल जीवन का भी
सुख दुःख का ये भी डेरा है
दिनकर न डरा रजनी से कभी
करता विनष्ट उसका प्रभाव
ले सीख विश्व गुरु से तू भी
कर दे मलीन मन का विनाश
कर तू प्रयास, कर लगातार
एक दिन तू लक्ष्य को पा लेगा
आने वाली पीढ़ी को भी
इतिहास नया पढ़ना होगा